क्या है और दिल में क्या नहीं है
अब हमें कुछ पता नहीं है
ज़ख़्म-ख़ुर्दा मैं पहले से था
तेरी कोई ख़ता नहीं है
हम निहायत सितम-रसीदा
दिल में भी कुछ बचा नहीं है
उसका भी तो गिला सुनो तुम
यूँहीं सबसे ख़फ़ा नहीं है
हमको छूकर क्या पाओगे तुम
हममें तो अब बफ़ा नहीं है

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