हल्के-हल्के बेसबब ज़िंदगी को खोना बेमतलब हर सुब्ह उठना, रात को सोना मेरे ज़ख्मों पर नमक मल सकते हैं आप आप तक न जा पाएगा मेरा रोना हावी हो रही है ख़्वाबों पे पेट की आग ज़िन्दा लाश है, मेरे दिल का आख़िरी कोना क्यों भागता रहता है, मौत से ये इंसान मुर्दे को मिट्टी देना, हाथों को धोना इक उम्र गुज़ार चुका हूँ, भरोसा कर लो लौटा दो मुझे, मेरे बचपन का खिलोना
हल्के-हल्के बेसबब ज़िंदगी को खोना
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One response to “हल्के-हल्के बेसबब ज़िंदगी को खोना”
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